Friday 7 April 2017

व्यथा एक मन की

व्यथा एक मन की
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एक कमरा छोटा सा
एक बेड,उस पर
बिछे रंगीन चादर
आरामदायक कुशन
जिसपर काढ़े गये
गुलाब के ढेर सारे फूल
दो लकड़ी के
खूबसूरत अलमीरे
एक शीशा उस पर
बेतरतीब से बिखरे
कुछ प्रसाधन
कोने के छोटे मेज पर
सुंदर काँच के गुलदान
में रखे रजनीगंधा के फूल
और झरोखे में लटके
सरसराते रेशमी परदे
इस खूबसूरत सजे
निर्जीव कमरे की एक
सजीव सजावट हूँ मैं
किसी शो पीस की तरह
जिसकी इच्छा अनिच्छा
का मतलब नहीं शायद
तभी तो हर कोई
अपने मुताबिक सजा देता
अपने ख्वाहिशों के दीवार पर।

                #श्वेता🍁       

3 comments:

  1. Waah bahut khoob us nirjeevata ki jaan bhi to aap hi ho anyatha nirjeeva vastuon ki koi kadra nahin hoti hai hoti bhi hai to sirf sajeeva ke hi karan jaise koyala aur heera to hain ek hi padarth parantu wah sajeeva hi hai jo heere ko koyale se alag kar itana keemati banata hai isliye prakriti ki ek adbhut rachana ho aap aur use pahchaniye taaki kisi sajeeva ko nirjeeva banane se rok saken- girijesh a blogger at girijeshthepoet.blogspot.com

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    Replies
    1. Girijesh jiशुक्रिया आपका बहुत सारा आपकी इतनी सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए।बहुत आभार🙏

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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