Saturday 4 November 2017

सुरमई अंजन लगा

सुरमई अंजन लगा निकली निशा।
चाँदी की पाजेब से छनकी दिशा।।

सेज तारों की सजाकर 
चाँद बैठा पाश में,
सोमघट ताके नयन भी
निसृत सुधा की आस में,
अधरपट कलियों ने खोले,
मौन किरणें चू गयी मिट गयी तृषा।

छूके टोहती चाँदनी तन 
निष्प्राण से निःश्वास है,
सुधियों के अवगुंठन में 
बस मौन का अधिवास है,
प्रीत की बंसी को तरसे, 
अनुगूंजित हिय की घाटी खोयी दिशा।

रहा भींगता अंतर्मन
चाँदनी गीली लगी,
टिमटिमाती दीप की लौ
रोई सी पीली लगी,
रात चुप, चुप है हवा
स्वप्न ने ओढ़ी चुनर जग गयी निशा।

     #श्वेता🍁

Friday 3 November 2017

मन की नमी

दूब के कोरों पर,
जमी बूँदें शबनमी।
सुनहरी धूप ने,
चख ली सारी नमी।
कतरा-कतरा
पीकर मद भरी बूँदें,
संग किरणों के, 
मचाये पुरवा सनसनी।
सर्द हवाओं की
छुअन से पत्ते मुस्काये,
चिड़ियों की हँसी से,
कलियाँ हैं खिलीं,
गुलों के रुख़सारों पर 
इंद्रधनुष उतरा,
महक से बौरायी, 
हुईं तितलियाँ मनचली।
अंजुरीभर धूप तोड़कर 
बोतलों में बंद कर लूँ,
सुखानी है सीले-सीले,
मन की सारी नमी।



       #श्वेता🍁

Wednesday 1 November 2017

मुस्कान की कनी

लबों पे अटकी
मुस्कान की कनी
दिल में गड़ गयी
लफ्ज़ों की अनी

बातों की उंगलियों से
जा लिपटा मन
उलझकर रह गयी
छुअन में वहीं

अनगिनत किस्से है
कहने और सुनने को
लाज के मौन में सिमटी
कई बातें अनगिनी

सुनो,
रोज आया करो न
आँगन में मेरे 
जाया करो बरसाकर
बातों की चाँदनी

क्या फर्क है कि
तुम दूर हो या पास
एहसास तुम्हारा
भर देता है रोशनी

     #श्वेता🍁

Monday 30 October 2017

शरद का स्वागत


पहाड़ों
का मौसम
फ़िज़ांओं में 
उतर आया है।
चाँदनी ने 
सारी रात 
खूब नेह 
बरसाया है।

ओस में भीगी 
फूल और पत्ते 
ताजगी 
जगाने लगी,
करवट 
ले रहा
मौसम
हवाओं ने 
एहसास 
कराया है।

नीले नीले 
आसमां में
रूई से 
बादल 
उड़ने लगे,
गुनगुनी 
धूप की 
बारिश ने, 
रुत को 
रंगीन 
बनाया है।

भँवर 
और तितली
फूलों से
बतियाने लगे,
गुलाब की 
खुशबू ने 
बाग का 
हर कोना 
महकाया है।

शरद के 
स्वागत में 
वादियों के 
दामन 
सजने लगे,
बहकी
हवाओं ने 
हर शय में
नया राग 
जगाया है।

       #श्वेता🍁

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...