Wednesday 14 February 2018

निषिद्ध प्रेम नहीं


स्मृति पीड़ा की अमरबेल
मन से बिसराना चाहती हूँ मैं
न भाये जग के कोलाहल 
प्रियतम,मुस्काना चाहती हूँ मैं

मौसम की मधुमय प्रीति
मलज की भीनी सरिता से 
उपेक्षित हिय सकोरे भर
तृष तृप्ति पाना चाहती हूँ मैं

जीवन के अधंड़ में बिखरी
हुई भावहीन मन की शाखें
तुम ला दो न फिर से बसंत
न,ठूँठ नहीं रहना चाहती हूँ मैं

कर के अभिनय पाषाणों की
मौन हो तिल-तिल मिटती रही
तुम फूट पड़ो बनकर निर्झर
तुम संग बहना चाहती हूँ मैं

प्रभु ध्यान धरुँ तो धरुँ कैसे
तुम आते दृगपट में झट से
है पूजा में निषिद्ध प्रेम नहीं
तो प्रीत ही जपना चाहती हूँ मैं

  #श्वेता🍁

20 comments:

  1. Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका विश्वमोहन जी।
      बहुत दिन बाद आपकी प्रतिक्रिया पाकर मन प्रसन्न हुआ।

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  2. बहुत खूबसूरत रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी।

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15.02.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2881 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  4. प्रेम भाव की बहुत ही सुंदर प्रस्तुति

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका वंदना जी।

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  5. शाख पर बन नव कोंपल
    मुस्कुराना चाहती हूं मैं
    बन के मोती बरखा के
    धरा पे बिखरना चाहती हूं मै।
    वाह वाह श्वेता बहुत सुंदर मनोभाव एक चिर सुख का आत्मानंद।

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  6. मौन याचना की स्वर लहरियों संग धीमें धीमें दिल में उतरती खुबसूरत रचना ..मन को भा गई.. बधाई आपको..!!

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  7. बहुत ही खूबसूरत रचना, स्वेता।

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  8. कुछ पा लेने की छटपटाहट को आकार देती रचना

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  9. श्वेता जी,
    शब्द भंडार से भरी भावपूर्ण साहित्यिक रचना. एक आग्रह है, इसे एक बार लेख टूटते बंधन से निहारकर देखिए.
    अयंगर

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  10. बहुत ही सुंदर भावों भरी रचना श्वेता जी।

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  11. बहुत सुंदर👌👌👌
    बहुत खूब !!!

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  12. सुंदर शब्द शिल्प से अलंकृत लालित्य और भावों का अनुपम संगम

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  13. स्मृति पीड़ा की अमरबेल
    मन से बिसराना चाहती हूँ मैं
    न भाये जग के कोलाहल
    प्रियतम,मुस्काना चाहती हूँ मैं
    आपकी बेहतरीन रचनाओं में शायद यह सबसे प्रभावशाली रचना है यह। बधाई आदरणीय श्वेता जी। मन आनंदित हो गया।

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  14. बहुत सुन्दर कविता है

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  15. वाह! बहुत सुन्दर रचना ।

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  16. प्रीत ही तो पूजा भी है ध्यान भी है ...
    मुस्कान जीवन है जो मधुरता लाता है ... भावपूर्ण रचना है बहुत ...

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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