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Wednesday 6 September 2017

घोलकर तेरे एहसास


अश्आर
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घोलकर तेरे एहसास जेहन की वादियों में
मुस्कुराती हूँ तेरे नाम के गुलाब खिलने पर

तेरा ख्याल धड़कनों की ताल पर गूँजता है
गुनगुनाते हो साँसों में जीवन रागिनी बनकर

तन्हाई के आगोश में लिपटी रिमझिम यादें
भींगो जाती है कोना कोना मन के आँगन का

खामोशियों में फैलती तेरी बातों की खुशबू
महक जाते है जज़्बात तुम्हें महसूस करके

जबसे बाँधा है गिरह तेरे दिल से मेरे दिल ने
कोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में

         #श्वेता🍁

Friday 26 May 2017

समेटे कैसे

सुर्ख गुलाब की खुशबू,हथेलियों में समेटे कैसे
झर रही है ख्वाहिशे संदीली,दामन में समेटे कैसे

गुज़र जाते हो ज़ेहन की गली से बन ख्याल आवारा
एहसास के उन लम्हों को, रोक ले वक्त समेटे कैसे

रातों को ख्वाब के मयखाने में मिलते हो तुम अक्सर
भोर की पलकों से फिसलती, खुमारी को समेटे कैसे

काँटें लफ्ज़ों के चुभ जाते है आईना ए हकीकत में
टूटे दिल के टुकड़ों का दर्द,झूठी मुस्कां में समेटे कैसे

तेरे बिन पतझड़ है दिल का हर एक मौसम सुन लो
तेरे आहट की बहारों को,उलझी साँसों में समेटे कैसे
          #श्वेता🍁

Wednesday 3 May 2017

भावों में बहना छोड़ दे

पत्थरों के शहर में रहना है गर
आईना बनने का सपना छोड़ दे

बदल गये है काँटों के मायने अब
साथ फूलों के तू खिलना छोड़ दे

या खुदा दिल बना पत्थर का मिरा
चाहूँ कि भावों में बहना छोड़ दे

एक दिन मरना तो है सबको यहाँ
हर पल तू घुट के मरना छोड़ दे

आस्तीनों में पलते यहाँ नफरत बहुत
प्रेम के ढोंग पे खुद को छलना छोड़ दे

ख्वाब चाँद पाने का सच होता नहीं
जमीं देख तू आसमां पे चलना छोड़ दे

       #श्वेता🍁

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...