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Thursday 21 September 2017

भगवती नमन है आपको

जय माता की🍁
शक्तिरूपा जगतव्यापिनी, भगवती नमन है आपको।
तेजोमय स्वधा महामायी ,भगवती  नमन है आपको।

दिव्य रूप से मोहती, मुख प्रखर रश्मि पुंज है
विकराल ज्वाला जागती ,नयनों में अग्नि खंज है
मंद मंद मुस्काती छवि तेरी विश्वमोहिनी ओज है
पतित पावनी उद्धारणी ,भगवती नमन है आपको।

खड्,त्रिशूल खप्पर कर लिये माँ दुष्टों को है संहारती
महाकालिका का रूप बन, चण्ड मुण्ड गले में धारती
सिंह पर सवार माँ दस भुजी,दानव को है ललकारती
हुंकारती महिषामर्दिनी  ,भगवती नमन है आपको।

किस रूप का वर्णन करूँ किस कथा का स्तवन करूँ 
ऊँ कार के आदि अनन्त तक, शब्दों का मोह जाल तू
कण कण में व्यापित माँ भवानी हर जीव में है प्राण तू
सर्व  ज्ञान चक्षु प्रदायिनी, भगवती नमन है आपको।

विश्व में कल्याण करना जन जन के दुख का नाश करना
प्राणियों के हिय में माता करुणा दया बन वास करना
रोग,शोक जीवन समर में लड़ने का बल प्रदान करना
शुचि,शुद्ध कर दो हिय मेरा,भगवती नमन है आपको।

              #श्वेता🍁

Sunday 13 August 2017

कान्हा जन्मोत्सव



 कान्हा जन्मोत्सव की शुभकामनाएँ
भरी भरी टोकरी गुलाब की
कान्हा पे बरसाओ जी
बेला चंपा के इत्र ले आओ
इनको स्नान कराओ जी
मोर मुकुट कमर करधनी
पैजनिया पहनाओ जी
माखनमिसरी भोग लला को
जी भर कर के लगाओ जी
कोई बन जाए राधा रानी
बन गोपी रास रचाओ जी
ढोल मंजीरे करतल पे ठुमको 
मीरा बन कोई गीत सुनाओ जी
सखा बनो कोई बलदाऊ बन 
मुरलीधर को मुरली सुनाओ जी
नंद यशोदा बन झूमो नाचो
हौले से पलना डुलाओ जी 
मंगल गाओ खुशी मनाओ
मंदिर दीपों से सजाओ जी
खील बताशे मेवा मिठाई 
खुलकर आज लुटाओ जी 
जन्मदिवस मेरे कान्हा का है
झूम कर उत्सव मनाओ जी
कृष्णा कृष्णा हरे हरे कृष्णा
कृष्णा कृष्णा ही गुण गाओ जी

Sunday 11 June 2017

हिय के पीर

माने न मनमोहना समझे न हिय के पीर
विनती करके हार गयी बहे नयन से नीर

खड़ी गली के छोर पे बाट निहारे नैना
अबहुँ न आये साँवरे बेकल जिया अधीर

हाल बताऊँ कैसे मैं न बात करे निर्मोही
खत भी वापस आ गये कैसे धरूँ अब धीर

जीत ले चाहे जग को तू नेह बिन सब सून
मौन तेरे विष भरे लगे घाव करे गंभीर

सूझे न कुछ और मोहे उलझे मन के तार
उड़ उड़ जाये पास तेरे रटे नाम मन कीर

भरे अश्रु से मेघ सघन बरसे दिन और रात
गीली पलकें ले सुखाऊँ जमना जी के तीर

         #श्वेता🍁



मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...