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Wednesday 18 October 2017

शहीद....हायकु

हमारे लिए
दीवार बने खड़े
वीर जवान

बुझा दीपक
शहीद के घर में
कैसी दिवाली

जला के दीप
शहीदों के नाम पे
सम्मान देना

माँ बाबू रोये
अंधियारा छाया है
अँगना आज

भींगी रंगोली
अँसुवन की धार 
जीवन सूना

वीर शहीद
तारे बन चमके
दीवाली रात

मातृभूमि का
हृदय से मान ही 
श्रद्धांजलि है


Wednesday 11 October 2017

कूची है तारे....हायकु

सिवा ख़ुद के
कुछ भी न पाओगे
आँखों में मेरी

भरी पलकें
झुका लूँ मैं वरना
तुम रो दोगे

आदत बुरी
पाल ली है दिल ने
बातों की तेरी

उठी लहर
छू कर किनारे को
भिगो जायेगी

आरियाँ है या
हवाओं के हाथ है
तोड़ते पत्ते

कसमसाती
शाम की हर साँस
उदास लगी

बनाने लगी
छवि तेरी बदरी
कूची है तारे

नीम फुनगी
ठुड्डी टिकाकर के
ताके है चंदा

चाँदनी फीकी
या नम है बादल 
आँखें ही जाने

आसमां ताल
तारों के फूल खिले
रात मुस्कायी

बिन तेरे है
ख़ामोश हर लम्हा
थमा हुआ सा

    #श्वेता🍁


Tuesday 25 July 2017

सावन-हायकु


छेड़ने राग
बूँदों से बहकाने
आया सावन

खिली कलियाँ
खुशबु हवाओं की
बताने लगी

मेंहदी रचे
महके तन मन
मदमाये है

हरी चुड़ियाँ
खनकी कलाई में
पी मन भाए

धानी चुनरी
सरकी रे सर से
कैसे सँभालूँ

झूला लगाओ
पीपल की डार पे
सखियों आओ

लजीली आँखें
झुक झुक जाये रे
धड़के जिया

मौन अधर
मंद मुस्काये सुन
तेरी बतिया

छुपके ताके
पलकों की ओट से
तोरी अँखियाँ

संग भीग ले
रिम झिम सावन
बीत न जाए



Monday 17 July 2017

हायकु



आवारा मन
भटके आस पास
बस तेरे ही

कोई न सही
पर हो सब तुम
मानते तो हो

तुम्हें सोचूँ न
ऐसा कोई पल हो
जाना ही नहीं

खुश रहो तो
तुमको देख कर
मुसकाऊँ मैं

बरस रही 
बूँद बूँद बरखा
नेह से भरी

श्वेत चुनर
रंगी प्रीत में तेरी
सतरंगी सी

अनंत तुम
महसूस होते हो
पल पल में

पास या दूर
फर्क नहीं पड़ता
एहसास हो

   #श्वेता🍁

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...