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Thursday 16 February 2017

इज़हार ए मोहब्बत

दिल की हर बात जो
हम कह नही पाते है
कभी फूल कभी बादल
कभी चाँद कभी तारों से
अपने दिल का हाल सुनाते है
हवाओं को चूमकर
हज़ारों पैगाम भिजवाते है
सुर्ख गुलाब बेताबियों की
खूबसूरत निशानी है

लजीली पलकों की
धड़कते सीने की
बेताबी भरे सुबह
बेचैन करती शामों
कश्मकश में उलझे
नेह डोर में बंधते
रेशमी एहसास की
अनकही कहानी  है

रख कर पंखुड़ियों में
सारे अनकहे लफ्ज़
भरकर प्यार की
खुमारी से लबरेज़
हाल ए दिल भेजा है
शायद वो समझ पाए
लरजते जज़्बातों को
गुलाब एक फूल नहीं
एक प्यार भरे दिल की
बेजुबान कहानी है

                         #श्वेता🍁

                            

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मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...