Friday 24 March 2017

अब शाम होने को है

अब शाम होने को है
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आसमां के कोर गुलाबी होने लगे
अब शाम होने को है।
हवाओं ने झुरमुटों को सहलाया
अब शाम होने को है।

बढ़ने लगी आसमां की तन्हाईयाँ
फिजांं में खामोशियों का रंग चढ़ा
बेआवाज़ लौटने लगे परिंदें भी अब
थके सूरज की किरणें कहने लगी
अब शाम होने को है।

मन के मुंडेर पर आ बैठे खामोश ख्याल
जेहन में आहटों का शोर बढ़ने लगा
क्षितिज के स्याह बादल का टुकड़ा
नम पलकों में ठिकाना ढूँढने लगा
अब शाम होने को है।

दिनभर के शोरगुल से भागकर चुपचाप
शाम की तन्हाई में ख्वाबों के जीने चढ़कर
कसकर मेरे आगोश में लिपटने लगी
तुम हो कही मुझमें ही याद बताने लगी
अब शाम होने को है।

                #श्वेता🍁



तेरा ख्याल

घोलकर तेरे एहसास जेहन की वादियों में,
मुस्कुराती हूँ तेरे नाम के गुलाब खिलने पर।

तेरा ख्याल धड़कनों की ताल पर गूँजता है,
गुनगुनाते हो साँसों में जीवन रागिनी बनकर।

तन्हाई के आगोश में लिपटी रिमझिम यादें,
भींगो जाती है कोना कोना मन के आँगन का।

खामोशियों में फैलती तेरी बातों की खुशबू,
महक जाते है जज़्बात तुम्हें महसूस करके।

जबसे बाँधा है गिरह तेरे दिल से मेरे दिल ने,
कोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में।


         #श्वेता🍁




Friday 17 March 2017

एक नया सवेरा


नीले समन्दर में सूरज का डेरा
फिर हो गया है हसींं इक सवेरा

बुझ गया चंदा बुझ गये दीपक
रात तक रुक गया ख़्वाबों का फेरा

मोड़कर सिरहाने लिहाफोंं के नीचे
छुप गया साँझ तक तन्हाई का लुटेरा

पोटली उम्मीद की बाँध चले घर से
लेकर के लौटेगे खुशियों कटोरा

यही ज़िंंदगानी है दो चार दिन की
कुछ टूटते नये बनते सपनों का बसेरा।


        #श्वेता

Thursday 16 March 2017

रात भर जागेगा कोई

चाँद को तकते आहें भरते भरते
आज फिर रातभर जागेगा कोई

ख्यालों में गुम चाँदनी में मचलते
दीदारे यार की दुआ माँगेगा कोई

जब जब छुएँगी ये पागल हवाएँ
समेट कर बाहों को बाँधेगा कोई

बादलों के साथ में उड़ते फिरते
सपनीली आँखों से ताकेगा कोई

जुगनू के परों पे रखकर ख्वाहिशें
उम्मीदों के धागों से बाँधेगा कोई

तन्हा सफर में न साथी मिलेगा
यादों को लिए राह साधेगा कोई

      #श्वेता

Wednesday 15 March 2017

टूटा ख्वाब

तेरी निगाहों के नूर से दिल मेरा मगरूर था
भरम टूटा तो जाना ये दो पल का सुरूर था

परिंदा दिल का तेरी ख्वाहिश में मचलता रहा
नादां न समझ पाया कभी चाँद बहुत दूर था

एक ख्वाब मासूम सा पलकों से गिरकर टूट गया
अश्कों ने बताया ये बस मेरे दिल का फितूर था

चाहकर भी न मुस्कुरा सके वो  दर्द इतना दे गये
जज़्बात हम सम्हाल पाते इतना भी न शऊर था

दिल की हर दुआ में बस उनकी खुशी की चाह की
इतनी शिद्दत से इबादत कर ली यही मेरा कुसूर था

     #श्वेता🍁

Tuesday 14 March 2017

एक ख्वाब

ओ हसीन तन्हा चाँद
ओ झिलमिल सितारों
उतर आओ जमीं पर
रात के खामोश दामन पर
महफिल हम जमायेगे
चंदा तुम फूलों को चूमकर
अपनी दिल की बात कहना
सितारे मुंडेरों पर जगमगायेगे
मेरे पलकों के सारे ख्वाब
होठों पे मुस्कुरायेगे
कुछ चाँदनी हँसकर बिखरे
कुछ तारे दर्द के छिटके
फिर सारे सपने थककर
नम यादों के तकिये से लिपटे
उनींदी रात के सर्द
आगोश में सो जायेगे

     #श्वेता🍁

Sunday 12 March 2017

होली के रंग

हृदय भरा उल्लास 
हथेलियों में मल रंग लिये,
सुगंधहीन पलाश बिखरी 
तन में मादक गंध लिये।

जला के ईष्या,द्वेष की होलिका
राख मले मतवारे,
रंग-गुलाल भरी पिचकारी
निकले अपने संग लिये।

फगुआ छेड़े पवन बसंती 
नाचे झूमे सखियाँ सारी,
लाल,गुलाबी,हरे,बैंगनी 
मुख इंद्रधनुष सतरंग लिये।

रंगों ने धो दिये कलुषित मन 
न किसी से कोई वैर रहे,
 एक राग में थिरके तन-मन 
झूमे प्रेम उमंग लिये।

गुझिया,मालपुआ रसीली 
पकवानों की दावत है,
बाल वृंद भी इत-उत डोले 
किलकारी हुड़दंग लिये।

अवनि से अंबर तक बरसे 
रंग-अबीर,गुलाल-पिचकारी,
मन मकरंद बौराये रह-रह  
  रंगों का गुलकंद लिये...।

                                                    
    ---श्वेता सिन्हा



Friday 10 March 2017

आँख में पानी रखो


आँख में थोड़ा पानी होठों पे चिंगारी रखो
ज़िदा रहने को ज़िदादिली बहुत सारी रखो

राह में मिलेगे रोड़े,पत्थर और काँटें भी बहुत
सामना कर हर बाधा का सफर  जारी रखो

कौन भला क्या छीन सकता है तुमसे तुम्हारा
खुद पर भरोसा रखकर मौत से यारी रखो

न बनाओ ईमान को हल्का सब उड़ा ही देगे
अपने कर्म पर सच्चाई का पत्थर भारी रखो

गुजरते वक्त फिर न लौटेगे कभी ये ध्यान रहे
एक एक पल को जीने की पूरी तैयारी रखो

      #श्वेता🍁

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...